NOT KNOWN FACTUAL STATEMENTS ABOUT हिंदी कहानी सुनाओ

Not known Factual Statements About हिंदी कहानी सुनाओ

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हिंदी कहानी

यहाँ एक कहानी है जो बताती है उन चुनौतियों के बारे में जब आप किसी काम को खुद से करने की चेष्ठा करते हैं।

उसने इस राजा तथा मंत्रियों की चतुराई जानने के लिए दों घोड़ियाँ भेजी और पुछवाया कि इनमें माँ कौनसी हैं और बेटी कौनसी हैं.

उस भूमि पर अपना अपना स्वामित्व जतलाने के लिए दोनों ही क्रोध से लाल पीले हो रहे थे. अपने अपने पक्ष में दलीले दे रहे थे.

एक दिन किसी काम के चलते वह उस जमीदार के यहाँ गया.

यह सुनकर उस धनी युवक की आँखों से प्रेम की धारा बह पड़ी, और बेटी को गले लगा दिया. तभी वह मन ही मन सोचने लगा,

यह नही सोचता कि इनमें से कुछ भी मनुष्य का अपना नही हैं.



पर खेत का मालिक नही माना, कुछ देर बाद गायों का एक झुण्ड आया. कुरज ने वैसे ही करुण स्वर में विनती की-

दूसरा व्यक्ति तत्काल चिल्ला उठा- महाराज यह बिलकुल झूठ बोल रहा हैं. यह भूमि इसके भाग में नही बल्कि मेरे भाग में आती हैं, इसलिए इसका असली मालिक मैं हूँ.

यदि तुम बड़ा बनना चाहते हो तो बड़े बन जाने वाले व्यक्तियों को पीछे मत धकेलो, अपने आप को उनसे बड़ा बनाओ

उसने कहा सारा का सारा रेवड़ दे तो छोड़ दू. ” गडरिये ने कहा- लेनी हो तो एक भेड़ लेले, मै तो नौकर हु.

हर समस्याएं अलग होती हैं और उनका समाधान भी अलग होता है। किसी भी मुसीबत का सामना करने के लिए अपनी बुद्धि का इस्तेमाल सही तरीके से करना चाहिए।

महात्मा जी ने लोहा गर्म देखकर चोट की और उन्हें समझाते हुए कहा- तनिक विचार करो कि जिस भूमि के लिए तुम लोग आपस में लड़ रहे हो,

प्रजापति की बात सुनकर दोनों परेशान हुए, एक दूसरे का मुह ताकने लगे. समस्या यह थी कि खाएं तो कैसे खाएं?

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